शक्ति
शीर्षक: शक्ति
माँ तेरी भक्ति में शक्ति,नित नित गान करूँ…
माँ वीणा वादिनी शक्ति दायिनी,तेरा मैं गुणगान करूँ
मैं सात सुरों में लहर बनाकर माँ तेरी भक्ति करूँ
नित्य कीर्ति गाऊँ माँ मैं और यशगान बखारू
हृदय बसाकर माँ तुम को मैं नित नित आरती गाऊँ।
माँ तेरी भक्ति में शक्ति,नित नित गान करूँ…
तू ही वीणापाणि माँ मेरी ज्ञान दायिनी तू माँ
तू कल्याणी पाप नाशिनी ममतामयी तू माँ
तू ही मेरी पालनहार मेरी नैया पार लगा तू माँ
बस एक बार आकर अपनी गले लगा तू माँ।
माँ तेरी भक्ति में शक्ति,नित नित गान करूँ…
मेरी कलम मो शक्ति दे माँ तेरा यशगान लिखूँ मैं
कृपा करो माँ मुझ पर बस तेरा गुणगान लिखूं मैं
जब भी कलम चले माँ मेरी बस भक्ति भाव लिखूं मैं
शब्द शब्द में झलके माँ त्याग बस ये ही लिखूं मैं।
माँ तेरी भक्ति में शक्ति,नित नित गान करूँ…
मेरे ह्र्दयतल में आ बसों माँ बना लो अपना डेरा
जीवन की इस मारामारी के फेर में पड़े न मन मेरा
सात सुरों की माँ धारिणी मन पवित्र करो तुम मेरा
हो जाएगा फिर इस जीवन मे माँ उद्धार मेरा।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित