वो रात सुहानी आती है ! ***************
वो रात सुहानी आती है ! ***********************
एक प्रसूता माँ पीड़ा से,
विह्वल हो अकुलाती है
जब शिशु को दे जन्म सफल,
वो वापस घर को आती है,
खुद भी नवजीवन पाती है
वो रात सुहानी आती है ! **********************
निज कन्या के परिणय हित,
चिंतित रहते निशि-दिन दम्पति
कन्या हित सुंदर वर चुन कर,
जब बेटी ब्याही जाती है
उर अंश भिन्न होकर के वो
नित नयन सजल कर जाती है
वो रात सुहानी आती है !*******************
अच्छा वर कन्या का पाना
सुख से ही फिर बापस आना
जब कन्या घर गुन गाती है
शर्माकर भेद बताती है
वो रात सुहानी आती है !**************************
जब नव प्रीत लिए उर में,
गोरी साजन घर जाती है
मिश्री के मीठे बोलों में,
घुल वो जीवन रस पाती है
सकुचाती है शर्माती है
वो रात सुहानी आती है ! ******************************
जीवन चलने का नाम सतत,
रुकने थमने का नाम नहीं
जब संतति शिक्षा पूरी कर
नव कार्य क्षेत्र को पाती है
सुंदर सन्देश सुनाती है
वो रात सुहानी आती है ! ***************************