वो महान क्यों ?…
वो महान क्यों ?…
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ज़ख्म दिया था जिसने हमको,
उस पर ही मेहरबान हुए ,
जिसने की थी बर्बरता इतनी,
उसको ही हम महान कहे ।
ऐसी भी क्या थी विवशता ,
जिसने हमें मजबूर किया।
आक्रांताओ को महिमामंडित करके,
निज गौरव शर्मसार किया ।
सत्रह बार चढ़ाई करके,
गजनवी भारत लूटा था।
सोमेश्वर महादेव प्रांगण ने ,
मौत का तांडव देखा था ।
भीमदेव जब हार गया तब,
भक्तजनों ने थी कमान संभाली,
मंदिर के प्राचीर पर चढ़कर ,
तीन दिनों तक ललकार लगाई।
गजनवी भी तब गरज उठा,
रक्तरंजित मैं तलवार चलाऊँ।
मुर्तिभंजन जब मेरा उसूल है,
काफिरों पर फिर क्यों दया दिखलाऊँ।
हिन्दू अस्मिता और आस्था को,
बारम्बार विनष्ट किया।
सोमनाथ हो या विश्वनाथ हो,
लुटा और सत्यानाश किया,
भारत की हिन्दू नारियों को,
बीच चौराहे नीलाम किया।
दुख्तरे हिन्दोस्तान,नीलामे दो दीनार,
गजनी में है मीनार खड़ा ।
बच्चा-बच्चा वाकिफ़ था ,
उन बेशर्मों के आतंक से।
नन्हा बलकरन अकड़ गया था,
लूटपाट में तैमूरलंग से ।
मंदिर-मंदिर खंडित कर लंगड़े ने,
मूर्तिपूजकों का कत्ल किया।
रत्न हो या स्वर्ण आभूषण,
सबको लूट समरकंद गया ।
मुगलों के शासन की पृष्ठभूमि,
आतंक-लुटपाट से रची गई ,
सोने की चिड़िया था भारत,
दिन-ब-दिन बदहाल हुई ।
जुल्मीं का ही जुल्म छिपायें ,
उसपर से महान बतलायें ।
व्यथित कर निज गौरव को ,
ये कैसा इतिहास बनायें ।
चिंगारी की लौ नहीं बुझती,
अतीत पर पर्दा डालूँ क्यों।
जिसने लाखों निहत्थे मारे ,
फिर भी है वो महान क्यों ?…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २५ /१०/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201