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17 May 2024 · 1 min read

वो ठोकर से गिराना चाहता है

वो ठोकर से गिराना चाहता है
मुझे पत्थर पे लाना चाहता है

जिसे अपना समझता हूँ जहाँ में
वो रस्ते से हटाना चाहता है

उसे होते नहीं देखा किसी का
मगर उसको ज़माना चाहता है

वो ख़ंजर साथ रखता है हमेशा
वो ही नश्तर मिटाना चाहता है

ले मैं अब आ गया तेरी ही महफ़िल
बता तू क्या बताना चाहता है

वो जिससे कर रहा वादा-ए-उलफ़त
उसे बिस्तर पे लाना चाहता है

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