Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 1 min read

“वो जमाना”

“वो जमाना”
वो भी क्या जमाना था
कि सारा जहां
हमारा दीवाना था,
कोई पागल थे प्रेम में
लेकिन
ये दिल अनजाना था।

3 Likes · 2 Comments · 141 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

सपनों का अन्त
सपनों का अन्त
Dr. Kishan tandon kranti
দৃশ্যপট
দৃশ্যপট
Sakhawat Jisan
🙅भूलना मत🙅
🙅भूलना मत🙅
*प्रणय*
"चाँदनी रातें"
Pushpraj Anant
मेरे लिए
मेरे लिए
Shweta Soni
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
सीता के बूंदे
सीता के बूंदे
Shashi Mahajan
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
Blac is dark
Blac is dark
Neeraj Agarwal
#नवयुग
#नवयुग
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
एक पेड़ की हत्या (Murder of a Tree) कहानी
एक पेड़ की हत्या (Murder of a Tree) कहानी
Indu Singh
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
Ravi Prakash
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
अरशद रसूल बदायूंनी
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
Rj Anand Prajapati
"स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
पूर्वार्थ
एक शपथ
एक शपथ
Abhishek Soni
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
गीत
गीत "आती है अब उनको बदबू, माॅ बाबा के कमरे से"
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
सूचना
सूचना
Mukesh Kumar Rishi Verma
मजदूरों से पूछिए,
मजदूरों से पूछिए,
sushil sarna
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
घटा सुन्दर
घटा सुन्दर
surenderpal vaidya
Relations
Relations
Chitra Bisht
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
Sudhir srivastava
*कैसे कैसे बोझ*
*कैसे कैसे बोझ*
ABHA PANDEY
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"वाणी की भाषा": कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...