Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 1 min read

एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़

एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
नाश्ते में खिचड़ी दे देने से परेशान
85 छात्रों ने होस्टल वार्डन से
शिकायत करी और
बदल-बदल के नाश्ता देने को कहा.

100 में से सिर्फ 15 छात्र ऐसे थे,
जिनको खिचड़ी बहुत पसंद थी।
और वो छात्र चाहते थे, कि
खिचड़ी तो रोज़ ही बने.
बाकी के 85 छात्र
परिवर्तन चाहते थे।

वार्डन ने सभी छात्रों से वोट करके
नाश्ता तय करने को कहा.

उन 15 छात्रों ने, जिनको …
खिचड़ी बहुत पसंद थी,
खिचड़ी के लिए वोट किया।

बाकी बचे 85 लोगों ने
आपस में कोई सामंजस्य नहीं रखा,
और कोई वार्तालाप भी नहीं किया,
और अपनी बुद्धि एवम् विवेक से
अपनी रूचि अनुसार वोट दिया।

13 ने डोसा चुना,
12 ने परांठा,
14 ने रोटी,
12 ने ब्रेड बटर,
11 ने नूडल्स , और
12 ने पूरी सब्जी को वोट दिया.
11 ने छोले भटूरे
🤔 अब सोचो🤔
क्या हुआ होगा ?

उस कैंटीन में आज भी
वो 85 छात्र, रोज़ खिचड़ी ही खाते हैं.
क्यों – क्योंकि वो 15 छात्र बहुमत में, एकजुट रहे

शिक्षा👇

जब तक हिस्सों में 85% बंटे रहोगे,
तब तक 15% वालों का वर्चस्व रहेगा.

समाज के लिये संदेश👇

👉🏽 एक बनो, नेक बनो, शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो

नही तो हमेशा खिचड़ी ऐसे ही खानी पड़ेगी😎

16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"पनाहों में"
Dr. Kishan tandon kranti
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
होली है ....
होली है ....
Kshma Urmila
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*सरल हृदय श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी*
*सरल हृदय श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी*
Ravi Prakash
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ आज भी जिंदा हैं
माँ आज भी जिंदा हैं
Er.Navaneet R Shandily
पिताजी हमारे
पिताजी हमारे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
सब अपने नसीबों का
सब अपने नसीबों का
Dr fauzia Naseem shad
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
शेखर सिंह
सिंदूर..
सिंदूर..
Ranjeet kumar patre
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
Dr. Man Mohan Krishna
मातृस्वरूपा प्रकृति
मातृस्वरूपा प्रकृति
ऋचा पाठक पंत
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
जीवन
जीवन
Neeraj Agarwal
**** बातें दिल की ****
**** बातें दिल की ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3382⚘ *पूर्णिका* ⚘
3382⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
फितरत
फितरत
Awadhesh Kumar Singh
मैं चाहता हूँ अब
मैं चाहता हूँ अब
gurudeenverma198
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर  में  व्यापार में ।
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर में व्यापार में ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
■ समझने वाली बात।
■ समझने वाली बात।
*Author प्रणय प्रभात*
💐Prodigy love-43💐
💐Prodigy love-43💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
shabina. Naaz
सार्थक जीवन
सार्थक जीवन
Shyam Sundar Subramanian
कैसा दौर है ये क्यूं इतना शोर है ये
कैसा दौर है ये क्यूं इतना शोर है ये
Monika Verma
तू ही बता, करूं मैं क्या
तू ही बता, करूं मैं क्या
Aditya Prakash
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
Sanjay ' शून्य'
मंहगाई  को वश में जो शासक
मंहगाई को वश में जो शासक
DrLakshman Jha Parimal
Loading...