Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2023 · 2 min read

#नवयुग

🔥 #नवयुग 🔥

◆ बहुत सुखी हुआ करता था किसान। उसके दिन वसंत जैसे मधुर मदिर रसभीने और रातें हर्षित उल्लसित दीपावली जैसी सुखदायी हुआ करती थीं।

● फूलों की नियति झरकर बिखरना है और कांटे शाख से विलगकर भी अपनी प्रखरता नहीं छोड़ते।

◆ बहुधा सरकार किसान के द्वार पर आकर पुकारा करती, “धन दे दो माई-बाप ! ऋण चाहिए सरकार !” खेत-खलिहानों जैसे विशाल हृदय वाला किसान मात्र शब्दों से ही पसीजता और ऋण दे दिया करता। उत्सवप्रेमी देश में कभी भी लोकराज का मेला लगता तो नाचता-झूमता किसान सरकार को ऋणमुक्ति का उपहार बांटा करता था।

● विद्युजिह्व की विधवा सूर्पसमान तीखे नखों वाली सुंदरी हेमलता पति के हत्यारे अपने भाई रावण को मरघट तक खेंच ही लाई।

◆ किसान के सुख-ऐश्वर्य से डाह रखने वाले अनेकानेक ईर्ष्यालुजन आत्मघात किया करते थे। किसान को ऐसे कर्महीनों से बहुत चिढ़ थी।

● चिरप्यासी कुब्जा मंथरा से सीता मैया का सुख सहन नहीं हुआ।

◆ किसान की दानशीलता की चर्चा दसों दिशाओं में यों हुआ करती कि उसका एक नाम अन्नदाता ही विख्यात हो गया था उन दिनों।

● सुख और दुःख धूप व छाया के समान हैं। कभी धूप चुभा करती है और छाया स्नेहिल छुअन से लुभाती है। परंतु, विपरीत समय आने पर यह इक-दूजे का धर्म धारण करने में संकोच नहीं किया करती हैं।

◆ तब सच्चे अर्थों में इस धरती के समस्त जीवों में यदि कोई सुखी था तो वो किसान ही हुआ करता था।

● हे इन पंक्तियों के सुधि पाठक ! दिन रातों में ढल जाया करते हैं और रातें दिनों में निखरकर आती हैं। वर्ष शताब्दियों में बदल जाया करते हैं और शताब्दियां युगों में पलट जाती हैं।

◆ लिपेपुते चेहरे लिए परजीवी नचनिए किसान की ड्योढ़ी तक आया करते। धमाल मचाकर लौट जाया करते। एक दिन वे बोले, “रातें ढलती नहीं उन्हें ढकेलना पड़ता है। युग बदलते नहीं, युग पलटाए जाते हैं। समस्याएं सुलझती नहीं सुलझानी पड़ती हैं।” परन्तु, किसान के पास तो समस्या ही नहीं थी। और, अब तो उसके पास हल भी नहीं था। युग पलटाए तो कैसे?

● और, फिर एक दिन मोदी आया।
🙏

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
53 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ इस लिए भी आज वो मुझ पर बरस पड़ा
कुछ इस लिए भी आज वो मुझ पर बरस पड़ा
Aadarsh Dubey
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
Uttirna Dhar
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
Sahil Ahmad
"मनभावन मधुमास"
Ekta chitrangini
जय जय दुर्गा माता
जय जय दुर्गा माता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
धरती करें पुकार
धरती करें पुकार
नूरफातिमा खातून नूरी
आँखों से भी मतांतर का एहसास होता है , पास रहकर भी विभेदों का
आँखों से भी मतांतर का एहसास होता है , पास रहकर भी विभेदों का
DrLakshman Jha Parimal
हर पिता को अपनी बेटी को,
हर पिता को अपनी बेटी को,
Shutisha Rajput
ज़रूरी ना समझा
ज़रूरी ना समझा
Madhuyanka Raj
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shyam Sundar Subramanian
कहाँ से लाऊँ वो उम्र गुजरी हुई
कहाँ से लाऊँ वो उम्र गुजरी हुई
डॉ. दीपक मेवाती
पिता एक सूरज
पिता एक सूरज
डॉ. शिव लहरी
🙅याद रहे🙅
🙅याद रहे🙅
*Author प्रणय प्रभात*
सत्यम शिवम सुंदरम
सत्यम शिवम सुंदरम
Harminder Kaur
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
Kaushal Kishor Bhatt
फिरकापरस्ती
फिरकापरस्ती
Shekhar Chandra Mitra
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आखिर कब तक ?
आखिर कब तक ?
Dr fauzia Naseem shad
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
दुआ किसी को अगर देती है
दुआ किसी को अगर देती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
#गुरू#
#गुरू#
rubichetanshukla 781
तुममें और मुझमें बस एक समानता है,
तुममें और मुझमें बस एक समानता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जागे जग में लोक संवेदना
जागे जग में लोक संवेदना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*नारी तुम गृह स्वामिनी, तुम जीवन-आधार (कुंडलिया)*
*नारी तुम गृह स्वामिनी, तुम जीवन-आधार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ,  तो इस कविता के भावार
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार
Sukoon
परीक्षा
परीक्षा
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...