“वे लिखते हैं”
“वे लिखते हैं”
लेखक या कवि नहीं हैं
फिर भी वे लिखते हैं
धरती पर हल की नोक से
पसीने को स्याही बनाकर,
अन्तिम दम तक
अपने खून को सुखाकर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“वे लिखते हैं”
लेखक या कवि नहीं हैं
फिर भी वे लिखते हैं
धरती पर हल की नोक से
पसीने को स्याही बनाकर,
अन्तिम दम तक
अपने खून को सुखाकर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति