वृक्ष मित्र अरु गुरू महान
वृक्ष मित्र अरु गुरु महान
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तरु पल्लव जमीन पर छाए धरती के फेफड़े कहाए
इनकी पत्ती रवि प्रकाश में अपना भोजन स्वयं बनाए।
रोटी , कपड़ा और मकान ये कागज बन देते सद्ज्ञान
प्राणवायु के सृजनहार हैं विषधर गैसें भी आहार हैं।
मिले बुराई, करो भलाई ! देते सबको सत्संगी ज्ञान
वृक्ष मित्र अरु गुरु महान ! वृक्ष मित्र अरु गुरु महान।
कंद मूल फल मेंवा बूँटी हम सबने वृक्षों से लूटी
स्वर्गतुल्य जो धरा हमारी वृक्षों की ही महिमा सारी।
वृक्ष फलों फूलों से लदते छोड़ अकड़पन सज्जन झुकते
झुकना एक मुख्य सद्गुण है ऐसा देते ये सबको ज्ञान।
पर्यावरण का ताप घटाकर करें जगत का ये कल्याण
वृक्ष मित्र अरु गुरु महान ! वृक्ष मित्र अरु गुरु महान।
ध्वनिशोषीअरु ऊष्मारोधी रहें अचलअरु स्वार्थ विरोधी
वृक्ष कबहुँ नहिं फलों को भक्षें आजीवन औरों को रक्षें।
जल अवशोषण वाष्पोत्सर्जन करते बादल का निर्माण
झड़ जाते सूखे फल पत्ते जो ह्यूमस बनके पोषण देते।
ये पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर देते कृतज्ञता का ज्ञान
वृक्ष मित्र अरु गुरु महान ! वृक्ष मित्र अरु गुरु महान ।
ममआस वृक्ष विश्वास वृक्ष मम मित्र वृक्ष अरु गुरू वृक्ष
जैवनिम्नीकरणीय वृक्ष अरु सतत रखें जलचक्र वृक्ष।
वृक्ष लगाएं ! धरा बचाएं ! अरु बच्चों को भी करें दक्ष !
वर्षा धूप शीत सहते तरु कैक्टस उगे जहाँ होता मरू।
गहरी जड़ें , पत्तियां छोटी ! मोटा तना रंद्र कम होती
कैक्टस कहता सुनो सुजान ! वृक्ष मित्र गुरु महान।
वृक्ष धरा का विष पी-पीकर बनते धरती के नीलकंठ
अगर ना रोका वनों का कटना वसुधा हो जाएगी ठंड।
बढ़ता ताप पिघलती सड़कें लगे जलाशय अग्नि अपार
जीवन का उद्घोष है प्यारे ! वृक्ष धरा के हैं श्रृंगार।
वृक्ष बचाओ वरना इक दिन धरती फिर होगी अंगार
धरती फिर होगी अंगार ……..धरती फिर होगी अंगार।
** जीवनदाता पेड़ **
अरे क्यों काट दिया यह पेड़ सोच लेते एक पल को ।
सुख पूर्वक जी लिया आज पर कैसे जिओगे कल को।
यही हैं सबके जीवन दाता शीतलता दें धरती तल को।
गंदा पानी साफ करें ये हवा में छोड़े समुचित जल को।
जब हों पेड़ बनें तब बादल पानी शुद्ध मिलेगा नल को।
हवा की गुणवत्ता हो वृक्षों से मिट्टी में ही रोकें मल को।
छाया,आश्रय,पुष्प आदि दें खाते नहीं स्वयं के फल को।
गर्मी में व्याकुल भूमि पुत्र भी पेड़ के नीचे रोके हल को।
जीव-जन्तु खग कीट-पतंगे कोसेंगें तुझ जैसे खल को।
अरे ! क्यों काट दिया यह पेड़ सोच लेते एक पल को