*******वीर जवानों की गाथायें *******
*******वीर जवानों की गाथायें *******
वीर जवानों की गाथायें,तुमको आज सुनाता हूँ ;
तूफानों में डटे रहे जो ,उनको शीश झुकता हूँ ;
कर्मपथ के वे अनुरागी ,मैं तो उनका दास हूँ ;
उनकी ही आजादी में ,लेता खुलकर साँस हूँ ;
भारत माँ के प्रणय हेतु ,करता ये अहसास हूँ ;
गाकर गाथा उन वीरों की ,मन से मैं मुस्काता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————–
चढ़ चेतक पर राणा प्रताप ,हर-हर बम-बम बोले थे ;
काँप उठा था शत्रु सारा ,वीर शिवा जब डोले थे ;
मंगल पांडे की चिंगारी ,रंग आजादी लाई थी ;
लक्ष्मीबाई भी बन काली ,अंग्रेजों पर छाई थी ;
राजगुरु सुखदेव भगत ने, फांसी गले लगाई थी ;
शेखर की पिस्तौल के आगे, नतमस्तक हो जाता हूँ;
वीर जवानों की गाथायें————————–
गोविंदसिंह का बाज उडा था ,फुर-फुर-फुर-फुर नभ में ;
ऊधमसिंह भी कूद पड़ा था , आजादी की जंग में ;
तात्यां ने भी मरघट भेजा ,अंग्रेजों को रण में ;
पंजाब केसरी की केसर की,मधुर सुगन्धी फैली थी ;
लोह पुरुष की आँखें भी ,अंगारो सी दहकी थी ;
दुश्मन का सीना चीर धरे जो,उनकी गाथा कहता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————–
नेताजी के सम्भाषण की,एक अनोखी मौज थी ;
वीर बांकुरों से अलंकृत, आजाद हिन्द फ़ौज थी ;
आजादी के मतवालों की ,बढ़ती हिम्मत रोज थी ;
रणभूमि में गर्जन करता, ऐसा सिंह एक था ;
भारत माँ की आजादी का उसका सपना नेक था ;
खून के बदले आजादी की ,पहेली एक बुझाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————-
आजादी के महासमर में ,लाखों लोग शहीद हुए ;
भारत माँ को चाहने वाले ,उनके ही मुरीद हुए ;
मात -पिता की आँखें नम , और सीना गर्व से पूर था ;
ब्याहता पत्नी की आशा का , टूटा सपना चूर था ;
भ्राता-भगिनि के चेहरों पर , विश्वासों का नूर था ;
शहीदों के बलिदान को अर्पित, पावन दीप जलाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————-
वीर शहीदों की चिता पर ,अश्रु सभी बहांते हैं ;
उनकी स्मृति की पावन ,झलकी गले लगते हैं ;
प्यार स्नेह से अभिनन्दन और वंदन उनका करते हैं ;
बदल गई हैं परिभाषाएँ, उनका वर्णन करते हैं ;
स्वार्थपरता लौलुपता का, सिंहासन है पर जोर है ;
उनके ही मर्दन की खातिर ,तत्वज्ञान बतलाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————-
भ्रष्टाचारी और आतंकी ,आज हमें ललकारे हैं ;
सीमा पर भी दुश्मनी की तेज खिंची तलवारे हैं ;
तुष्टिकरण में नेता जन भी ,शब्द नहीं उचारे हैं ;
आज नहीं हम चुप बैठेंगे ,करनी लड़ाई पार है ;
भारत माँ का बच्चा-बच्चा ,लड़ने को तैयार है ;
देश-द्रोहियों को मैं यही,बार-बार बतलाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————-
आजादी के मतवालों का ,झूम-झूम सम्मान करो ;
हैं स्वर्ग के वे अधिष्ठाता ,उनका नित जयगान करो ;
इसीलिए मैं सबसे कहता ,राष्ट्र-गीत का मान करो ;
भारत माँ की रक्षा हेतु ,विष का भी तुम पान करो ;
वन्देमातरम् वन्देमातरम् ,वन्देमातरम् गान करो ;
वीर भरत के भारत में मैं ,सिंह के दांत गिनाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें————————-
*******सुरेशपाल वर्मा जसाला