Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2024 · 1 min read

कामवासना

काम वासना एकाधिकार
मर्दो का,वर्षो से निरंतर!
औरत उपभोग की वस्तु
बन के ही क्यू रह जाये
पैसों से जब बात बने ना
मजनू बन उस को लुभाये
कर मीठी बात दिल बहलाये
रोज नए व्यसन से जी बहलाये
मिल जाये जो जिस्म एक बार
सारा प्यार फुर्र हो जाये
काम वासना मद के चलते
स्त्री तड़ना की अधिकारी बन जाये
रहे मौन, चुप ज़ुल्म सहे
आवाज करे तो
उस को ही दोषी ठहराये
ये बात कुछ समझ में ना आये
होता रहा सदियों से उपहास
उपभोग फिर विलास और
अंत में परित्याग।
***************
✍सन्ध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी

9 Likes · 1 Comment · 45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
"ख्वाब"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
Ranjeet kumar patre
सत्कर्म करें
सत्कर्म करें
Sanjay ' शून्य'
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
स्क्रीनशॉट बटन
स्क्रीनशॉट बटन
Karuna Goswami
*शर्म-हया*
*शर्म-हया*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ये मेरा स्वयं का विवेक है
शेखर सिंह
कितने एहसास हैं
कितने एहसास हैं
Dr fauzia Naseem shad
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ये 'लोग' हैं!
ये 'लोग' हैं!
Srishty Bansal
"शिष्ट लेखनी "
DrLakshman Jha Parimal
बिल्ली
बिल्ली
Manu Vashistha
सत्य की खोज........एक संन्यासी
सत्य की खोज........एक संन्यासी
Neeraj Agarwal
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
जिसके पास
जिसके पास "ग़ैरत" नाम की कोई चीज़ नहीं, उन्हें "ज़लील" होने का
*प्रणय प्रभात*
होली के दिन
होली के दिन
Ghanshyam Poddar
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
खवाब है तेरे तु उनको सजालें
खवाब है तेरे तु उनको सजालें
Swami Ganganiya
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
*जंगल की आग*
*जंगल की आग*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
भूल गई
भूल गई
Pratibha Pandey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
3509.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3509.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
रोजी रोटी
रोजी रोटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
Love's Test
Love's Test
Vedha Singh
Loading...