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25 Jul 2018 · 1 min read

वीरांगना फूलन तुम्हें प्रणाम…

वीरांगना फूलन तुम्हे सलाम…

वो कहने को भी अवला थी,
वो कहने को भी नारी थी ।
जिसे सुन शिहर उठता मन नारी का,
उस अत्याचार की मारी थी ।।

फिसल जाता है ह्रदय सबका,
तब वो लड़ने को चाली थी।
हुए न बन्द अत्याचार निगाहें सबकी ही काली थी,
वो बन सरदार चम्बल मैं एक दिन शेरनी दहाड़ी थी ।।

बनाकर हमसफ़र दस्यु ,
चली वो यूँ बेरहम जमाने में ।
सोच मन ख़त्म करेगी उनको,
आज उसने ये ठानी थी।।

किया है अंत अन्यायियों का,
डंका अब बजा विश्व में है ।
ज़माने भर के दुःखियों की अकेली,
वो हितकारी थी ।।

प्रशासन घुटने बल लेटा,
तेज़ जब उसका निखरा था ।
यूँ लेकर पत्र शांति का,
प्रदेशी मुखिया पहुँचा था ।।

मुनादी देकर शासन को,
किया समर्पण उस नारी ने।
शर्तों की ख़ातिर अब उसने,
उठाया बेड़ा सामाजिक हितकारी का ।।

वो पहले दहाड़ी चम्बल में,
दहाड़ती है अब संसद में ।
अपने स्वभाव को ज़िंदा,
आज भी रखती संज़ीदा, चमन की ऐसी वो नारी थी ।।

करके हमला पीछे से ग़द्दारों ने,
शेरनी पर वार किया ।
नम कर गयी आँखों को,
इस दुनियाँ से जब वो निकली थी ।।

आज “आघात” भी याद है करता,
उसके हर बलिदान पै पुष्प चढ़ाता।
फूलन अब वापस आना होगा,
इस धरा को दुष्टों से मुक्त कराना होगा ।।

आर एस बौद्ध”आघात”
8475001921

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 214 Views
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