Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2022 · 4 min read

सरसी छंद और विधाएं

#सरसीछंद~
इसे तीन अन्य नामों से भी जाना जाता है।
#हरिपद छंद /#सुमंदर छंद/#कबीर छंद
किंतु प्रचलित नाम सरसी छंद है {( सरसी का शाब्दिक अर्थ होता है ,- जलाशय जो छंद के गुणानुरुप नाम है )
इस छंद का, अष्ट छाप के कवियों में सूरदास जी नंददास जी ने , व तुलसीदास जी मीराबाई जी ने अपने कई पद काव्यों में बहुत प्रयोग किया है , जिससे इसे भिखारीदास जी ने हरिपद (भगवान की स्तुति करने वाला ) #हरिपद छंद कहा है }।

होली के दिनों में गाया जानेवाला कबीर भी इसी छंद में गाया जाता है। जिसके अंत में #जोगीरा #सा #रा #रा #रा, लगाया जाता है, इसीलिए इसे #कबीर छंद नाम भी मिला है

इस छंद में कथ्य भाव सागर की गहराई सा पाया गया है, इस लिए इसे समंदर / #सुमंदर छंद नाम भी मिला है ।

छंद जानिए प्यारा सरसी , सोलह-ग्यारह भार |
कहे सुमंदर हरिपद कबिरा , करो इसे स्वीकार ||
विषम चरण है चौपाई‌ सा, सम दोहा का मान |
चार चरण -दो पद में जानो, यह सुभाष का ज्ञान ||

#चौपाई का एक चरण (नियम सहित ) + #दोहे का सम चरण (नियम सहित ) = #सरसी छंद……..

सरसी छंद में चार चरण और 2 पद होते हैं । इसके विषम चरणों में 16-16 मात्राएं ( चौपाई चाल में ) और सम चरणों में 11-11 मात्राएं होती हैं ।( दोहे के सम चरण की तरह ) । इस प्रकार #सरसी छंद में 27 मात्राओं के 2 पद होते हैं । मूल छंद की दो दो पंक्तियांँ अथवा चारों पंक्तियांँ सम तुकान्त होती हैं।

१६ मात्राओं की यति २२ या ११२ या , २११ या ११११.से अधिमान्य‌ होती है ।
#तगण (२२१), #रगण (२१२), #जगण ( १२१) #वर्जित हैं
~~~~~~~~~~~~~
आप इस छंद में छ: विधाएं लिख सकते हैं।
1- मूल छंद
2- मुक्तक
3- कबिरा जोगीरा
4- गीत
5 – गीतिका
6 – पद काव्य

चार चरण और दो पद में सरसी छंद

कपटी करते मीठी बातें , खूब दिखाते प्यार |
हित अनहित को नहीं विचारें , करें पीठ पर बार ||

चतुर शिकारी दाना डालें , पीछे करें शिकार |
विश्वास घात जिनमें बसता, देते सबको खार ||

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब यही छंद. मुक्तक में

कपटी करते मीठी बातें , खूब दिखाते प्यार |
हित अनहित को नहीं विचारें , करें पीठ पर वार |
चतुर शिकारी दाना डालें , पीछे देते मात~
भाव भरे हैं जिनमें घातक , देते सबको खार |
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सरसी छंद (कबिरा जोगीरा ) ( कम से कम पांँच युग्म )

मिला फैसला, देकर लाखों, अफसर बड़ा महान |
सौ रुपया ले फाइल खोजी , बाबू बेईमान ||
जोगीरा सा रा रा रा

एक फीट की गहराई में , शौचालय निर्माण |
जाँच कमेटी माप गई है, मीटर आठ प्रमाण ||
जोगीरा सा रा रा रा

कर्ज मिले जब भी सरकारी, समझो तुम बादाम |
नेता देते माफी भैया, जब चुनाव हो आम ||
जोगीरा सा रा रा रा

ओढ़‌ रजाई घी पी लेना , अवसर. अच्छा जान |
इसी तरह यह भारत.चलता , नेता देते दान ||
जोगीरा सा रा रा रा

नहीं खोजने जाना तुमको , मिल जाएँगे लोग |
एक बुलाओ दस आएँगे , पालो चमचा रोग ||,
जोगीरा सा रा रा रा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

सरसी छंद में हिंदी गीत (कम से कम तीन और अधिकतम चार अंतरा )

समाधान भी खोज निकाले , कहलाता है धीर |{मुखड़ा)
संकट जब-जब भी आता है , खुद निपटाता वीर |(टेक)

हँसी उड़ाते पर पीड़ा में , जो भी मेरे यार | (अंतरा )
रोते हैं वह बैठ सदा ही , खुद पर जब तलवार ||
लोग‌ साथ से हट जाते‌ हैं , मिलती उसको‌ हार‌ |
जिसने बांँटे दोनों हाथों , सबको हरदम खार ||

इसीलिए तो सज्जन कहते , रखो‌ दया का‌ नीर |(पूरक)
संकट जब- जब भी आता है , खुद निपटाता वीर || (टेक)

अपनी-अपनी ढपली बजती , अपना-अपना राग (अंतरा)
अवसर पाकर देते है‌ बस , बदनामी‌ के दाग ||
लोकतंत्र में गजब तमाशा , जुड़ जाते हैं काग |
खूब फेंकते बिषधर बनकर, दूर- दूर तक झाग ||

सदा अंँगूठा दिखलाकर ही , खल खाते हैं खीर |(पूरक)
संकट जब-जब भी आता है , खुद निपटाता‌ वीर ||(टेक)

खल करते संदेश प्रसारित,लोग‌ न देते ध्यान (अंतरा)
यहाँ सनातन से देखा है ,सबका हुआ निदान ||
लोग‌‌ साथ भी दे़ देते हैं , रखते‌ ऊँची शान |
अपनाकर सद्भाव सदा ही, करते हैं उत्थान ||

धैर्य वान की कीमत होती , जैसे पन्ना हीर |(पूरक)
संकट जब -जब भी आते हैं , खुद
निपटाता वीर (टेक )|~`~~~~~~~~~~~~~~
सरसी छंद अपदांत गीतिका समांत-आन,
****
फितरत, नफरत की ईंटों से , पूरा बना मकान ,
लेकर झंडा शोर मचाते, यह है आलीशान |

नहीं बात में कुछ रस रहता , बाते‌ंं रहतीं फेक ,
तानसेन के पिता‌ बने हैं , उल्टा‌ सीधा गान |

खड़े‌ मंच. पर नेता जी हैं , भाषण लच्छेदार ,
ताली चमचे पीट रहे हैं , वाह-वाह की तान |

छिन्न-भिन्न सब करते रहते , फिर भी‌ हैं उस्ताद ,
फिर भी अपनी गलती पर वह, कभी न देते ध्यान |

सच “सुभाष” ने जब बोला है , रुष्ट हुए है‌ं लोग ,
दूजों को मूरख बतलाते , खुद बनते‌ श्रीमान |

नहीं सृजन में हाथ रहा है , नहीं मनन में खोज ,
मीन – मेख के महारथी हैं, बांँट रहे हैं ज्ञान |

बने देवता हिंदी के हैं , समझ न आती बात ,
खतना करते हिंदी की जब , मुझे दर्द का भान |
~`~~~“~
सरसी में पद काव्य

मैया ! मेरी रखियो आन |
द्वार खड़ा हूँ माता तेरे , करता‌ हूँ गुणगान ||
भाव सहित है अर्चन वंदन ,चरणों में नित ध्यान |
संकट कटते तेरी शरणा , मिले कृपा का दान ||
मंगल मूरत मेरी मैया , जग की दया निधान |
शरण सुभाषा पूजा करता , मैया की अब शान ||
~~~~~~~~
सुभाष सिंघई ( एम•ए• हिंदी साहित्य, दर्शन शास्त्र)

आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से छंद को समझाने का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष , समांत पदांत दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें!!

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 3476 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रहे हरदम यही मंजर
रहे हरदम यही मंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
Sanjay ' शून्य'
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
Speak with your work not with your words
Speak with your work not with your words
Nupur Pathak
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
चंद्रयान
चंद्रयान
डिजेन्द्र कुर्रे
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
जमाना तो डरता है, डराता है।
जमाना तो डरता है, डराता है।
Priya princess panwar
🌺प्रेम कौतुक-201🌺
🌺प्रेम कौतुक-201🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
माना जीवन लघु बहुत,
माना जीवन लघु बहुत,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"शहनाई की गूंज"
Dr. Kishan tandon kranti
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
किसका चौकीदार?
किसका चौकीदार?
Shekhar Chandra Mitra
3139.*पूर्णिका*
3139.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है एक डोर
है एक डोर
Ranjana Verma
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
shabina. Naaz
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
Babli Jha
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
Jyoti Khari
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
Acharya Rama Nand Mandal
जिंदगी एक ख़्वाब सी
जिंदगी एक ख़्वाब सी
डॉ. शिव लहरी
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
Shakil Alam
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
Loading...