विरक्ती
क्या करे जीवन संचार – वह रक्त जो विरक्त हो,
किस आस पर टिके संसार – रीढ़ ही न सशक्त हो,
विरक्ति का अर्थ विपरीत , संघर्षरत सार
विरक्त आत्मा घुटने टेक , माने असमय हार II
जीवन के परिपेक्ष्य में, मोक्ष का चाहे अनुपम द्वार –
सशक्त ही जो विरक्त हो, कौन करे फिर बेड़ा पार ?
संघर्षरत मोहित ही कर पाएंगे ज्ञान की उष्मा का संचार
विरक्त जो गया हर जीव – कहाँ जीवन, कहाँ संसार ?
क्या धरे जीवन आधार – वह मनुज जो विरक्त हो,
जिस नींव पर टिका व्यवहार -भाव तो सशक्त हो!
विरक्ति नहीं मोहभंग हो, जूझ कर तम कर पराजित
न फ़ेंक अस्त्र , न त्याग शस्त्र, हो पराक्रम से सुस्सजितII