Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2021 · 1 min read

विपक्ष का दमन (लोकतंत्र खत्म)

एक नेता जनता की सेवा के बहाने प्रवेश करता है,
देश के नागरिकों को कूटनीति से दो धड़ो में बांटता.

एक का पक्ष लेकर होशियारी से चहेता बन जाता.
दूसरे की नागरिकता पर सवाल हलिमी से उठाता.

नोंकझोंक दोनों मे होती देख,मन ही मन मुस्कराता.
विरोधियों को गाडी से कुचते हुए,अपने प्रभाव बढाता.

मौत के ढेर पर खडे होकर,राजनीति अपनी चमकाता.
इनके आका भी खुश होकर,ऊंच आसन पर बिठा देते

मुद्दे रसोई प्रबंधन, शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय के नहीं मुसलमान, पाकिस्तान, आरक्षित कौम के विरुद्ध होते

एक कृषि क्षेत्र बचा था,उसे भी लपेट लिया जायेगा.
आपदा में अलसर के तहत आय छीन ली जायेगी.

वही पुराने नियम,विपक्ष की साजिश बता दी जायेगी,
तीनों कृषि कानून आपके हक में है नये आयाम देंगे.

एक रेखा खींच कर छोटा बडा दिखाया जायेगा.
आपस में लडाने के, पुराने प्रयोग दोहराया जायेगा.

शठे शाठयम् समाचरेत, लखीमपुर घटना का दोहन,
खौफ के प्रयोग, अब तो हर रोज करके देखा जायेगा.

न खाऊंगा, न खाने दूंगा की तर्ज पर सब छीन जायेगा
भूखे मरते इंसान, इंसान को इंसान कबतक छोडेगा.

मेहनतकश किसान मजदूर, आखिर मोहताज बनेगा,
देश में फिर पूंजीवाद लौट आयेगा, लोकतंत्र जायेगा.

ये तो शुरुआत है,खेल खेल में आंख मिचौली खेल की
हर गरीब अनपढ़ असहाय अपाहिज से सहारे छिनेगा.

तब समझ आयेगा, विकेंद्रीकरण देशहित राष्ट्रवाद
की असल परिभाषा, जब जेब खाली ही पायेगा. .

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 566 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
शेरे-पंजाब
शेरे-पंजाब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
* भावना स्नेह की *
* भावना स्नेह की *
surenderpal vaidya
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
सहारा
सहारा
Neeraj Agarwal
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मै भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा
मै भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा
Ram Krishan Rastogi
"इंसानियत"
Dr. Kishan tandon kranti
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सोच विभाजनकारी हो
सोच विभाजनकारी हो
*Author प्रणय प्रभात*
बंधे धागे प्रेम के तो
बंधे धागे प्रेम के तो
shabina. Naaz
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
Open mic Gorakhpur
Open mic Gorakhpur
Sandeep Albela
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
Sandeep Mishra
आहट
आहट
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेरी हर लूट में वो तलबगार था,
मेरी हर लूट में वो तलबगार था,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Dil toot jaayein chalega
Dil toot jaayein chalega
Prathmesh Yelne
राम समर्पित रहे अवध में,
राम समर्पित रहे अवध में,
Sanjay ' शून्य'
बचपन
बचपन
Kanchan Khanna
3204.*पूर्णिका*
3204.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
टॉम एंड जेरी
टॉम एंड जेरी
Vedha Singh
मनमीत मेरे तुम हो
मनमीत मेरे तुम हो
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
पर्वत 🏔️⛰️
पर्वत 🏔️⛰️
डॉ० रोहित कौशिक
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
DrLakshman Jha Parimal
*माता चरणों में विनय, दो सद्बुद्धि विवेक【कुंडलिया】*
*माता चरणों में विनय, दो सद्बुद्धि विवेक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-94💐
💐प्रेम कौतुक-94💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सैलाब .....
सैलाब .....
sushil sarna
लड्डु शादी का खायके, अनिल कैसे खुशी बनाये।
लड्डु शादी का खायके, अनिल कैसे खुशी बनाये।
Anil chobisa
Loading...