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7 Oct 2020 · 1 min read

विनोद सिल्ला की कुंडलियां

कुंडलियां

बेटी मेरे देश की, झेले अत्याचार|
मूक दर्शक बनी सत्ता, मूक हुआ अखबार||
मूक हुआ अखबार, रक्षक भक्षक बन गए|
किसकी यहाँ मजाल, डंडे लेकर ठन गए||
कह ‘सिल्ला’ कविराय, हालत हो गई हेठी|
सूझे ना तरकीब, बचाएं कैसे बेटी||

-विनोद सिल्ला©

2 Likes · 163 Views
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