विनती ये मेरी स्वीकार हो जाये (व्यंग्य )
गीत
विनती ये मेरी स्वीकार हो जाये
मेरे सारे सपने साकार हो जायें,
विनती ये मेरी स्वीकार हो जाये।
वो जमाना भस्म का था,
अब तो पाउडर आ गया।
ठंड में मृगछाल नहीं प्रभु,
देखो ट्राउजर आ गया।
मेरे पास मोटर और कार हो जाये।
विनती ये—-
हाथ मोबाइल ,साथ गाड़ी
और दौलत पास हो।
मेरी मन्नत पूरी करदो ,
तुम तो मेरे खास हो।
मुझपे ये तेरा उपकार हो जाये ।विनती ये——
फैंसी साड़ी ,पूरा मेकअप
और सोने का हार हो।
फूल तुझको चढ़ाऊंगी
जब पास मेरे बहार हो।
मेरा प्रभु इतना श्रृंगार हो जाये।विनती ये——
पर्वतों पर रह ना पाऊं,
मुझको अच्छा फ्लैट हो।
टी.वी.,कूलर ,फोन जिसमें,
बैठने सोफासेट हो।
रहमत ये तेरी बार -बार हो जाये।विनती ये—-
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
p/sखिरैंटी
साईंखेड़ा