“विचित्र संसार”
“विचित्र संसार”
पूरा से डर लगता है
इसलिए करता आया हूँ
तुमसे अधूरा प्यार,
चाँद भी घटने लगता है
पूनम की रात से
कैसा यह विचित्र संसार?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“विचित्र संसार”
पूरा से डर लगता है
इसलिए करता आया हूँ
तुमसे अधूरा प्यार,
चाँद भी घटने लगता है
पूनम की रात से
कैसा यह विचित्र संसार?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति