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4 Aug 2024 · 1 min read

“विचार निजी व मौलिक ही नहीं, नवीन भी होने चाहिए। कहे-कहाए, स

“विचार निजी व मौलिक ही नहीं, नवीन भी होने चाहिए। कहे-कहाए, सुने-सुनाए नहीं। घिसे-पिटे, सड़े-गले तो बिल्कुल नहीं।”

🙅प्रणय प्रभात🙅

1 Like · 75 Views
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