Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 1 min read

विकट संयोग

मैं चाह लेती
तो मन न चाहता
मैं और मन दो
अलग धाराएं है
मन मुझसे मिलना
नही चाहता
और न ही मैं
मन को
अपनाना चाहती हूं,
मन और मेरा योग
विकट संयोग।

Language: Hindi
52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
क्युं बताने से हर्ज़ करते हो
क्युं बताने से हर्ज़ करते हो
Shweta Soni
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
Neerja Sharma
"वाकया"
Dr. Kishan tandon kranti
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
हर क़दम पर सराब है सचमुच
हर क़दम पर सराब है सचमुच
Sarfaraz Ahmed Aasee
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
Sukoon
दिल पागल, आँखें दीवानी
दिल पागल, आँखें दीवानी
Pratibha Pandey
परेशान देख भी चुपचाप रह लेती है
परेशान देख भी चुपचाप रह लेती है
Keshav kishor Kumar
2394.पूर्णिका
2394.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तुम बिन
तुम बिन
Dinesh Kumar Gangwar
तो शीला प्यार का मिल जाता
तो शीला प्यार का मिल जाता
Basant Bhagawan Roy
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
VEDANTA PATEL
आप वही करें जिससे आपको प्रसन्नता मिलती है।
आप वही करें जिससे आपको प्रसन्नता मिलती है।
लक्ष्मी सिंह
असोक विजयदसमी
असोक विजयदसमी
Mahender Singh
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
पूर्वार्थ
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
Ravi Yadav
लैला अब नही थामती किसी वेरोजगार का हाथ
लैला अब नही थामती किसी वेरोजगार का हाथ
yuvraj gautam
कुछ परिंदें।
कुछ परिंदें।
Taj Mohammad
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
Anis Shah
अधूरा प्रयास
अधूरा प्रयास
Sûrëkhâ
मंगल मय हो यह वसुंधरा
मंगल मय हो यह वसुंधरा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गायब हुआ तिरंगा
गायब हुआ तिरंगा
आर एस आघात
रहना चाहें स्वस्थ तो , खाएँ प्रतिदिन सेब(कुंडलिया)
रहना चाहें स्वस्थ तो , खाएँ प्रतिदिन सेब(कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...