“” वार दूँ कुछ नेह तुम पर “
गीत
भूख हो या प्यास इससे ,
पार पाना है ।
वार दूँ कुछ नेह तुम पर ,
यह खजाना है ।।
नीड से बाहर भी निकलो ,
पंख फैलाओ ।
यह अनूठा जग निरख लो ,
भय नहीं खाओ ।
है ठहरता वक्त कब
बदले ठिकाना है ।।
बोल मीठे हों अधर पर ,
हो हँसी प्यारी ।
हो न मन कलुषित हमारा ,
जिंदगी सारी ।
धार के उस पार पहुँचे
तब किनारा है ।।
पालती है यह धरा तो ,
नभ सहारा है ।
ताप दे पावस जरूरी ,
रूप न्यारा है ।
बह चलो तुम भी पवन संग
यह इशारा है ।।
जो मिला है अल्प जानो ,
और कुछ ध्याना ।
है सफल जीवन मनुज का ,
जो हमें पाना ।
ध्येय लगता है कठिन जो
बस हमारा है ।।
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )