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13 Feb 2024 · 1 min read

शिक्षक

शिक्षा जीवन मूल है, शिक्षक देव समान।
देकर ज्ञान करते , कृपा सदैव ही महान ।

ऋण गुरू का न चुके, कर लें कोटि उपाय ।
शिक्षा अमूल्य रत्न है , मूल्य कौन लगाए।

अज्ञानी जीव सम शिशु, शिक्षक का उपकार ।
ज्ञान देकर जगत में, करें नव जीवन निर्माण।

सही गलत का भेद दें, नित्य करें सचेत हमें।
कर्म सुधारें वो सभी, चरित्रवान सब नर बनें

गुरू को कोटि नमन, नित प्रणाम बारंबार।
चुका सकेंगे न कभी, शिक्षक के उपकार।

स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश

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