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15 May 2023 · 1 min read

सृष्टि रचेता

सृष्टि रचेता उत्तर की है दरख्वास्त, चंदा मांग कर क्यों करना पड़ता है, निर्धन को अंतिम संस्कार।

जब तक ना भरे पेट, जब तक जेब में ना हो नोट।

अपना हक मांगे पूरा, दूजे का हक भी ना छोड़े थोड़ा।

दूजे के संकट में ना दे साथ,
अपने संकट में हो सब पास।

प्यार संबंध का पहला कायदा, देखो अपना फायदा।

ऐसी बनी दुनिया कुरूप ईर्ष्या क्रोध लालच वासना को ना जाने दे अपने से दूर।

संतान पत्नी से करें प्रेम अपने मां-बाप को क्यों समझे गैर।

खुद मांगे सुख दूजे को चाहे, कितना भी सहना पड़े दुख,
पहले खुद को देख,
फिर सृष्टि रचेता से होगी बहस।

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