वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
सामने बड़ाई करता, पीठ पीछे गालियाँ बकता रहा ।।
कैसे मानूँ उसे दोस्त भला तुम्हीं कहो,
आस्तीन का साँप बनकर, जो हमेशा डसता रहा ।।।
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
सामने बड़ाई करता, पीठ पीछे गालियाँ बकता रहा ।।
कैसे मानूँ उसे दोस्त भला तुम्हीं कहो,
आस्तीन का साँप बनकर, जो हमेशा डसता रहा ।।।