वर्तमान भारत
सबके सुख की कामना, रखे सभी का मान ।
कल का हो या आज का, भारत रहे महान ।।
तरह-तरह की बोलियां, तरह-तरह के लोग ।
फिर भी इनमें एकता, दिखे सदा सहयोग ।।
संस्कृति अरु यह सभ्यता, दुनिया में मशहूर ।
अतिथि देव सम भावना , मानवता भरपूर ।।
कल भी भारत भव्य था, अब भी भव भंडार ।
दीन-दुखी, सेवा व्रती , यह इसके व्यवहार ।।
जिस धरती पर खुद लिया, ईश्वर ने अवतार ।
वह धरती कल आज क्या, जो भावी करतार ।।