Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2020 · 1 min read

वर्ण पिरामिड

विषय–कोयल या उसके पर्याय
विधा –वर्ण पिरामिड
=====================
(1)

ये
पिक
कूँ बोले
मिश्री घोले
गीत सुनाए
मन अकुलाए
साजन नहीं आए
——————–
(2)

जा
बैरी
कोकिल
वनप्रिया
हरती जिया
अगन लगाती
हिय झुलसाती
मन पीर जगाती
——————–
====================
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

Language: Hindi
377 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वोट डालने जाना
वोट डालने जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जो समझदारी से जीता है, वह जीत होती है।
जो समझदारी से जीता है, वह जीत होती है।
Sidhartha Mishra
2258.
2258.
Dr.Khedu Bharti
हमारा सफ़र
हमारा सफ़र
Manju sagar
अपने-अपने राम
अपने-अपने राम
Shekhar Chandra Mitra
*बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)*
*बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
Vishal babu (vishu)
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी
Dr MusafiR BaithA
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
प्यार ना होते हुए भी प्यार हो ही जाता हैं
प्यार ना होते हुए भी प्यार हो ही जाता हैं
Jitendra Chhonkar
नजरों को बचा लो जख्मों को छिपा लो,
नजरों को बचा लो जख्मों को छिपा लो,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
Anil chobisa
पेड़ - बाल कविता
पेड़ - बाल कविता
Kanchan Khanna
*
*"माँ वसुंधरा"*
Shashi kala vyas
छोड़ दो
छोड़ दो
Pratibha Pandey
"गहरा रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
अनोखे ही साज़ बजते है.!
अनोखे ही साज़ बजते है.!
शेखर सिंह
💐 Prodigy Love-33💐
💐 Prodigy Love-33💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🙅आज का विज्ञापन🙅
🙅आज का विज्ञापन🙅
*Author प्रणय प्रभात*
!! चुनौती !!
!! चुनौती !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बदनाम से
बदनाम से
विजय कुमार नामदेव
बाढ़ का आतंक
बाढ़ का आतंक
surenderpal vaidya
झूठ
झूठ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
goutam shaw
जब से हैं तब से हम
जब से हैं तब से हम
Dr fauzia Naseem shad
अभी जाम छल्का रहे आज बच्चे, इन्हें देख आँखें फटी जा रही हैं।
अभी जाम छल्का रहे आज बच्चे, इन्हें देख आँखें फटी जा रही हैं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Loading...