लॉक डाउन में गृहणी का जीवन
जान माल की हानि ही नहीं ,
करोना से हुए और भी नुकसान ।
जरा गौर कीजिए इस विषय पर ,
दीजिए कुछ ध्यान ।
करोना की वजह से लॉक डाउन लगा,
स्कूल और दफ्तर हो गए बंद ।
इसके फलस्वरूप पति और बच्चों के घर ,
में रहने से गृहणी हो गई तंग ।
जब गृहणी होगी तंग तो,
स्वाभाविक है गृह कलेश बढ़ेगा ।
पति और बच्चों की अनुशासनहीनता,
से गृहणी का पारा चढ़ेगा ।
कहां तो बेचारी ! सबके घर से चले,
जाने के बाद सुकून पाती थी ।
घर का काम एक बार समेट कर ,
कुछ देर सो लिया / बतिया लिया करती थी ।
मगर अब पति और बच्चों के घर में
रहने से अव्यवस्था बिगड़ने लगी ।
कपड़े ,जूते ,किताबे ,दफ्तर की फाइलों,
की दुकानें २४ घंटे खुलने लगी ।
उसपर से हर घड़ी कमरों से
खाने की फरमाइशें आनी लगी ।
सारा समय बेचारी गृहणी बेचारी ,
रसोई में ही बिताने लगी ।
लॉक डाउन क्या लगा,
लंबी छुट्टी पा गई कामवाली।
खाना बनाने और घर का काम करते हुए ,
गृहणी ही बन गई काम वाली ।
पहले कभी रसोई से छुट्टी पाने हेतु ,
करती थी पति से बाहर जाने की फरमाइश ।
या किसी रेस्तरां ,जोमेटो आदि से ,
पिज्जा बर्गर खाने की पूरी हो जाती ख्वाइश ।
मगर अब क्या करे ? लॉक डाउन ये
यह सुविधाएं भी ले गया ।
रूठ के मायके जाने का ,
यह सुख भी कमबख्त ले गया ।
सहयोग मांगे वे पति और बच्चों से !
अजी छोड़िए ! उनके पास कहां वक्त है!
सारा दिन नजरें गढ़ाए रहते फोन और लैपटॉप में,
किसी ओर को देखने की कहां फुरसत है !
“हे प्रभु ! कृपा कर ये लॉक डाउन हटवा दो,
भेजो पति को दफ्तर और बच्चों को स्कूल ,
ताकि फिर से कुछ देर आराम से सो लें ,
बतिया कर पड़ोसन संग हो जाएं हम भी कूल।”
ऐसी ही होती है लॉक डाउन में ,
हर गृहणी की मनोदशा ।
यदि प्रति दिन करें परिवार जन सहयोग ,
तो क्यों बिगड़े पत्नी/ मां की दशा ।