“लालच”
तुम्हारे पंख कतरेगा
रिश्ते तोड़ डालेगा,
तुम्हारी सीधी राहों को
भँवर से मोड़ डालेगा,
तुम्हें मुश्किल में डालकर
ये खुद मुस्कुराएगा,
हमेशा की तरह ही
जरूरत के लिबास पहनकर
ये बार-बार आएगा।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
तुम्हारे पंख कतरेगा
रिश्ते तोड़ डालेगा,
तुम्हारी सीधी राहों को
भँवर से मोड़ डालेगा,
तुम्हें मुश्किल में डालकर
ये खुद मुस्कुराएगा,
हमेशा की तरह ही
जरूरत के लिबास पहनकर
ये बार-बार आएगा।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति