Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

प्यार हुआ तो कैसे

काफ़िर था प्रेम से, फिर प्यार हुआ तो कैसे
न थी दिल में प्रीत फिर,इकरार हुआ तो कैसे

बिखरी बिखरी थी जिंदगी, बिखरा था आसमां
फिर खुद में प्यार का ,स्वीकार हुआ तो कैसे

व्यथित मन जब भटक रहा था,गलियारों में
फिर दिल जुड़ने के लिए ,तैयार हुआ तो कैसे

नज्म -नज्म में बसी थी ,वो इस कदर जीवन में
गम का तेरे जीवन में, अधिकार हुआ तो कैसे

जीवन की विपरीत धारा में,गम की आंधियों में
राधा का तुझसे, प्रेम का करार हुआ तो कैसे

ममता रानी
झारखंड

Tag: Poem
1 Like · 32 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Rani
View all
You may also like:
🌿 Brain thinking ⚘️
🌿 Brain thinking ⚘️
Ms.Ankit Halke jha
असली नकली
असली नकली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
* धीरे धीरे *
* धीरे धीरे *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
है प्यार तो जता दो
है प्यार तो जता दो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Sometimes a thought comes
Sometimes a thought comes
Bidyadhar Mantry
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
बस अणु भर मैं
बस अणु भर मैं
Atul "Krishn"
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
International Chess Day
International Chess Day
Tushar Jagawat
गुरू द्वारा प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीना ही वास्तविक गुरू दक
गुरू द्वारा प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीना ही वास्तविक गुरू दक
SHASHANK TRIVEDI
इश्क का तोता
इश्क का तोता
Neelam Sharma
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
गीत
गीत
Shiva Awasthi
हमें अलग हो जाना चाहिए
हमें अलग हो जाना चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
अभिरुचि
अभिरुचि
Shyam Sundar Subramanian
रोटी से फूले नहीं, मानव हो या मूस
रोटी से फूले नहीं, मानव हो या मूस
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गजब हुआ जो बाम पर,
गजब हुआ जो बाम पर,
sushil sarna
■ प्रसंगवश :-
■ प्रसंगवश :-
*Author प्रणय प्रभात*
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
gurudeenverma198
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
Manisha Manjari
नारी शक्ति.....एक सच
नारी शक्ति.....एक सच
Neeraj Agarwal
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
पूर्वार्थ
खोजें समस्याओं का समाधान
खोजें समस्याओं का समाधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"चांदनी के प्रेम में"
Dr. Kishan tandon kranti
शेयर
शेयर
rekha mohan
*पदयात्रा का मतलब (हास्य व्यंग्य)*
*पदयात्रा का मतलब (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
अगर जाना था उसको
अगर जाना था उसको
कवि दीपक बवेजा
Loading...