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29 May 2023 · 1 min read

असली नकली

कागज के फूल हो या प्राकृतिक
फूल तो फूल ही है असली नकली का
अन्तर्मन अंतर बताते।।
रंग बिरंगे कागज के फूल काँटे नही फिर भी शूल गमक नही ना ही खिलते
मुस्कुराते छल जाते।।
रस हीन प्रकृति प्राणि का ज्ञान नहीं
आकर्षण युग मन में भाव जगाते
कागज के फूल वन्डरफुल वास्तव
वास्तविकता से दूर ले जाते।।
कागज की नाव कल्पना
कोई रंग नही कोई सुगंध नही
छल छद्म के किसी रंग में रंग जाते
मोल नही कोई फिर भी दुनियां का
मोल बताते।।
भौतिकवादी युग नकली चाल चरित्र चेहरे कागज के फूल जैसे निहित स्वार्थ में जाने क्या क्या कर जाते।।
बदल गया है युग कितना असली नकली की पहचान नही नकली ही
कागज के फूल जैसे असली बन जाते।।
कागज के फूल आचरण संस्कृति सांस्कार का परिहास नकली युग के संसय का सत्य सत्यार्थ बताते।।
प्रकृति प्राणि के फूल रात कली
प्रभात के फूल जीवन के मौलिक
नैतिक मोल बताते ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
230 Views
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