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4 Feb 2017 · 1 min read

लाज शर्म को छोड़

********यह दुनिया ********

दुनिया में अगर पोपुलर होना है
तो शर्म लिहाज को छोड़ दो
आप प्रसिद्धी अगर पानी हैं तो
सच है शर्म लिहाज को मोड़ दो !!

आज हर तरफ भीड़ लगी है
बेशर्मी कि, कोई न रखता लिहाज
आते थे पहले भी इंसान यहाँ पर
पर आज चढ़ा इंसान जा जहाज !!

खुद को आगे निकलने की खातिर
उलझ रहा जंजालो में
आवश्यकता न भी हो चाहे उसे
पर डूब रहा विलासिता के झमेलों में !!

दुनिया तो रंग बिरंगी हे
इस का हर रंग निराला है
कर्ज लेकर आज महल बना रहा
न जाने कल कौन इस का रखवाला है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
594 Views
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