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8 Dec 2020 · 1 min read

— लहू का दौर —

चल दिया था मयखाने में
सोचा कुछ राहत पा लूँगा
पहुँच वहां देखा सन्नाटा
ऐसा यहाँ मंजर क्यूं है

पुछा जब मयखाने से
भला ऐसा यह दौर क्यूं है
बोला मयखाना मेरे दोस्त
अब शराब नहीं लहू का दौर है

कौन पी रहा है शराब यहाँ
किस के पास है वक्त यहाँ आने का
अब एक दूसरा लहू ही तो पी रहा है
यहाँ शराब पीता भला कौन है ?

अब मयखाने का शायद
लगता है यह आखिरी दौर है
पीने वाले के पास जाम नहीं
उसका “लहू” ही सिरमौर है

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 210 Views
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