लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं
तुम्हारे बदन से आ रही पसीने की गंध
बहुत अपनेपन से भरी है
क्योंकि यह बताती है
कि तुम भी मेहनत कर के लौट रही हो,
मेरी तरह !
तुम्हारे धूल से भरे खुरखुरे इन पांँवों में
ऊँची ऊँची हील नहीं बल्कि साधारण से जूते हैं
क्योंकि तुम्हें पसंद है
पत्थरों से प्यार करना , पर्वतों पर उड़ना !
तुमने अपनी चूड़ियों को
दुश्मनों की आँखों में तोड़ दिया है
क्योंकि तुम्हें
चूड़ियों की खन-खन से
कहीं अधिक पसंद है
कलाई पर बंँधी घड़ी की टिक-टिक
तुम्हें अच्छा लगता है, समय के साथ चलना !
तुम्हारे सूखे हुए होंठों पर
लिपस्टिक नहीं, प्यास है;
जीवन की, मुक्ति की!
तुम्हारे पैरों में पायलें नहीं घुंँघरू हैं;
जो सिर्फ़ तुम्हारे लिए बजते हैं।
तुम्हारे नाख़ून इतने बड़े नहीं
कि अकारण ही किसी का ख़ून कर दें
और इतने छोटे भी नहीं
कि कोई तुम्हारी उंँगलियों को चोट पहुँचा ले!
प्रिये! तुमसे मिलने से पहले
मैं नहीं जानता था
कि लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं !
-आकाश अगम