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8 May 2024 · 1 min read

बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है

गिरह
इश्क़ से बढ़कर बताओ क्या सज़ा कुछ और है।
जिन्दगी में शायरी हो तो मज़ा कुछ और है ।
१)
साथ तेरे गुनगुनाने का मज़ा कुछ और है ।
बेसबब हँसने -हँसाने का मज़ा कुछ और है ।
२)
हो रहीं हैं अब सुकूंँ की बारिशे मेरे यहाँ,
हाल -ए -दिल ने सही जो वो सज़ा कुछ और है
३)
इश्क़ की महफ़िल सजी कुछ कह गए वो नज़्म में
पर निगाहें बोलतीं वो इल्तिज़ा कुछ और है।
४)
था मिलाया जिस ख़ुदा ने कर दिया उसने जुदा,
जानती हूँ उस ख़ुदा की अब रज़ा कुछ और है।
५)
क्या हुआ कुछ फासले ही तो बढ़े हैं दरमियां
जानती ‘नीलम’ मुहब्बत की अजा कुछ और है।
नीलम शर्मा ✍️
अजा-प्रकृति, शक्ति

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