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13 May 2024 · 1 min read

खड़ा रेत पर नदी मुहाने…

खड़ा रेत पर नदी मुहाने।
गाता कोई गीत सुहाने।

आह न भरता हर गम सहता,
सुनता है अग – जग के ताने।

धता बताकर पगला सबको,
गाए खुश-खुश नेह-तराने।

क्या ठाना है मन में उसने,
उसके मन की वो ही जाने।

कहाँ – कहाँ वो आए – जाए,
ढूँढो उसके ठौर – ठिकाने।

नजरों से बचकर दुनिया की,
मिलते छुप – छुप दो दीवाने।

इश्क उजागर हो ही जाता,
लाख छुपाएँ लोग सयाने।

बच न पाए नजर से उसकी,
कर ले ‘सीमा’ खूब बहाने।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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