Chalo khud se ye wada karte hai,
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाइए,
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
*लक्ष्मण-रेखा (कुंडलिया)*
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
अगर मरने के बाद भी जीना चाहो,
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
*** " नाविक ले पतवार....! " ***
I lose myself in your love,
When we constantly search outside of ourselves for fulfillme
❤️सिर्फ़ तुझे ही पाया है❤️
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी