रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़,
मत काटो मुझको ये दोस्त ।
दोस्ती का खूब फर्ज़ निभाऊँगा,
मीठे मीठे फल खिलाऊँगा।।
हरा–भरा तुम मझको है रखना,
शुद्ध हवा तेरे जीवन को दूँगा।।
रो रो कर बोला एक पेड़,
मत काटो मुझको ये दोस्त ।
भीषण गर्मी में छायाँ हूँ देता,
सूखे में वर्षा को ला देता ।।
बोते रहोगे मेरा यदि बीज,
जंगल हरियाली का पाओगे अति शीघ्र।
रो रो कर बोला एक पेड़,
मत काटो मुझको ये दोस्त ।
उपयोगी हूँ मै तेरे घर के लिए,
सहयोगी जीवन पर्यन्त हूँ ।।
रोगो की औषधियाँ मुझसे है मिलती,
पीड़ा तेरी हम ही हरते है।।
रो रो कर बोला एक पेड़,
मत काटो मुझको ये दोस्त ।
एक दिन जब मै सूख जाऊँ,
काट धरा से ले जाना दूर।
हर जन को बतलाना जरूर,
एक हरे पेड़ के फायदे अनेक।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।