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24 Jan 2022 · 1 min read

रूपमाला छंद

!! श्री !!
?
(रूपमाला छंद )
************
साँस को जो भी चलाये, है कहो तो कौन ।
जानते हैं कौन वह फिर ,भी खड़े हैं मौन ।।
मौन तोड़ें सत्य के मुख, से उचारें बोल ।
जिंदगी हमको मिली जो , है बड़ी अनमोल ।।
*
देख माया चक्र में, कैसा फँसा संसार ।
फेर है निन्यानवें का ,कौन पाये पार ।।
कम नहीं ज्यादा नहीं, काँटा मिला के तोल ।
जा रहे हैं नीर से , बहते दिवस अनमोल ।।
*
राधे…राधे…!
?
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
???

Language: Hindi
1 Like · 397 Views
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