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12 May 2024 · 1 min read

अधूरा प्रेम

कितना कुछ अनकहा रह गया
कितनी कुछ अनकही बाते थी
कितनी कुछ अनकही सौगाते थी
ना तुम मेरे दिल का कुछ समझे थे
ना मैने तेरे दिल का कुछ जाना था
बाते कुछ अधूरी थी कुछ पूरी थी
दिन रात बस सुलगते जज़्बात थे
ना तुम मुझसे कुछ कह पाई थी
ना मै तुमको कभी कुछ बता पाया था
तेरी मेरी कुछ अधूरी प्रेम कहानी थी
जिसे ना तुम पूरा पढ़ पाई थी
ना मैं ही पूरा लिख पाया था

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