रिश्ते
रिश्ते भगवान् बनाता है
निभाना है इंसान को
मगर कहां निभाता है
आज का श्रवण कुमार
अपने माता-पिता को
तीर्थ यात्रा की जगह
वृद्ध आश्रम भेजना
उचित समझता है
आज का भरत
राम से राजपाठ
लेने के लिए
अदालत में खड़ा है
रहिमन का प्रेम का
धागा टूट रहा है
अपना ही अपने को
लूट रहा है
असहयोग आंदोलन चरम पर है
अंग्रेजों के लिए नहीं
वे जा चुके हैं
जब रिश्ते टूटते हैं
तब मन टूटते हैं