**रिश्ते सारे बन गए मतलब के**
**रिश्ते मतलब के**
हमने देखा है ,सुना है ,समझा है।
जमाने में रहकर यह जाना है।
गुजरा वह जमाना ,जब कोई आपसे,
आत्मिक रिश्ता रखता था।
दौर अब वह आ गया साथियों,
रिश्ते सारे बन गए मतलब के।।
कोई माने या न माने
हम तो यह जानते हैं।
जब तक मतलब रहता किसी से,
तब तक ही उसे पहचानते हैं।
निकला अपना काम ,भूल जाते हैं नाम।
व्यवहार क्यों बनते जा रहे हैं,
ऐसे सबके।
रिश्ते सारे बन गए मतलब के।।
याद आते हैं दिन पुराने तब के।
त्याग समर्पण पास था सबके।
अब तो चारों और सुनाई देता,
बस चलते हैं, फिर मिलेंगे।
समय कहां है साहब।
आए थे आपके पास कब के।।
रिश्ते सारे बन गए मतलब के।।
राजेश व्यास अनुनय