रिश्तें मे मानव जीवन
रिश्तों को नापेगा दुनिया का पैमाना
उह- आह से लगेगा प्यार का अनुमान
कोन कितना रोया- हँसा उससे रिश्तों मे,
हमारे प्यार को दूर- पास बतलायेगा
फुल से पत्तो को तोड़ कर अलग भाव करेगा,
अब तो रोने- धोने से मन का भाव मिलेगा
बुजुर्गो से ही रिश्तों को सहारा मिलेगा,
नहीं तो सभी रिश्तें – नाते बेसहारा मिलेगा
रिश्ते की डोर परिवार का मटका,
जो एक बार चटका समझ लेना सब अटका
टूटा परिवार तो ऐसा त्ररास् हो रहा था,
भाई के हाथो भाई का नाश हो रहा था
पराकृमि, तेजस्वी, वीरता के प्रतिक थे,
बुद्धि कोशल गुरू व कुछ इच्छा मृत्यु से निपुण थे
मर्यादा रिश्तों की तोड़ी भगवान से नही समझ पाए,
सैकड़ों की संख्या थी अंक तक नहीं बच पयाये
समय रहते रिश्तों के अहसास को समझा जाए,
मानवता के प्रति संवेदनशीलता को समझ जाए
रिश्ता वही जो अंधेरे में राह दिखाये,
रिश्ता वही एक दूसरे पर विश्वास करवाये
रिश्ता वही समाज को जोड़े, रिश्ते ही धर्म,
रिश्ते ही प्यार, रिश्ते ही विश्वास बनवाये
रिश्तों में सत्य असत्य, धर्म अधर्म का भेद करवाए,
रिश्तों से ही सम्पूर्ण मानवता को जोड़ा जाये
अनिल चौबिसा