Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्दानगी है और

स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्दानगी है और
पुरुष का सम्मान ही स्त्री की सुंदरता है…

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छोड़ भगौने को चमचा, चल देगा उस दिन ।
छोड़ भगौने को चमचा, चल देगा उस दिन ।
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तू ही मेरी लाड़ली
तू ही मेरी लाड़ली
gurudeenverma198
शिवा कहे,
शिवा कहे, "शिव" की वाणी, जन, दुनिया थर्राए।
SPK Sachin Lodhi
23/135.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/135.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दास्तान"
Dr. Kishan tandon kranti
Kitna hasin ittefak tha ,
Kitna hasin ittefak tha ,
Sakshi Tripathi
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
महाभारत एक अलग पहलू
महाभारत एक अलग पहलू
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
Yash mehra
जिंदगी में रंग भरना आ गया
जिंदगी में रंग भरना आ गया
Surinder blackpen
माता शबरी
माता शबरी
SHAILESH MOHAN
अबस ही डर रहा था अब तलक मैं
अबस ही डर रहा था अब तलक मैं
Neeraj Naveed
जिन्दगी में
जिन्दगी में
लक्ष्मी सिंह
अकिंचित ,असहाय और निरीह को सहानभूति की आवश्यकता होती है पर अ
अकिंचित ,असहाय और निरीह को सहानभूति की आवश्यकता होती है पर अ
DrLakshman Jha Parimal
सर के बल चलकर आएँगी, खुशियाँ अपने आप।
सर के बल चलकर आएँगी, खुशियाँ अपने आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
Anand Kumar
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रामचरितमानस
रामचरितमानस
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Manisha Manjari
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
ख़ान इशरत परवेज़
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
■ सावधान...
■ सावधान...
*Author प्रणय प्रभात*
*मेला (बाल कविता)*
*मेला (बाल कविता)*
Ravi Prakash
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
पूर्वार्थ
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
शेखर सिंह
ना कुछ जवाब देती हो,
ना कुछ जवाब देती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...