राही ठहर नहीं जाना
राही मंजिल पाने तक, ठहर नहीं जाना है
धैर्य और समझ बूझ से, राहें सुगम बनाना है
आते हैं अबरोध कई, सबको दूर हटाना है
नहीं निराशा आने देना, आशा उत्साह जगाना है
कितनी भी मुश्किल मंजिल हो, हार नहीं जाना है
चलते रहना अनवरत राह में, मंजिल पा ही जाना है
बिन मेहनत के जग में राही, किसने मंजिल पाई है
बिना मुसीबत एवरेस्ट पर, किसने करी चढ़ाई है
कभी-कभी प्रयास हमारे, सफल नहीं हो पाते हैं
राही फिर प्रयास बढ़ाना, प्रयास सफल हो जाते हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी