Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2022 · 3 min read

राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

जैसा कि आप सभी को विदित है कि तिरंगा हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज है जिसको हर राष्ट्रीय दिवस पर फहराया या ध्वजारोहण किया जाता है। तिरंगे का आज जो स्वरूप आप देख रहे हैं वैसा पहले नहीं था इस के रूप में परिवर्तन होता रहा इसके पीछे काफी लंबा इतिहास है। इसके बनाने में किसका हाथ रहा होगा शायद ही कुछ लोगों को पता हो। इस वर्ष हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं और यह वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है ऐसे शुभ अवसर पर इसका इतिहास जानना बहुत जरूरी हो जाता है। राष्ट्रीय ध्वज या तिरंगा हमारे देश का सम्मान और स्वतंत्र राष्ट्र का प्रतीक है वैसे सभी देशों के अपने-अपने राष्ट्रध्वज हैं जिसको देखकर उस देश की पहचान की जाती है। इसी तरह तिरंगे से हमारे भारत देश की पहचान है जब कभी हमारे देश की कोई राष्ट्रीय टीम बाहर दूसरे देशों में जाती है या खेलने के लिए जाती है तब भी तिरंगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज उनके साथ जाता है।
भारतीय भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वैकेया जी ने की थी और इसके वर्तमान स्वरूप को 22 जुलाई सन 1947 को संविधान की विधान सभा बैठक के दौरान इस विषय पर वार्तालाप किया गया।
15 अगस्त 1947 अंग्रेजों से भारतीय स्वतंत्रा के कुछ दिन पूर्व ही इस विधान सभा से इसको स्वीकृति मिल गई थी ।पहले इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो से भारत को स्वतंत्रता मिलने पर फहराया गया। बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। जब हमारा देश गणतंत्र देश बना।
तिरंगे का निर्माण करने वाले व्यक्ति का नाम था पिंगली वैकेया था जिनका जन्म 2अगस्त सन 1876 में आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम के समीप एक गांव में हुआ था। अभी 2 अगस्त को उनकी 146 वा जन्म दिवस मनाया गया जिसमे माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी उनके परिवार को सम्मानित किया। 19 साल की उम्र में वैंकेया जी ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन कर ली थी। बाद में दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो बोअर के युद्ध के दौरान उनकी महात्मा गांधी जी से मुलाकात हुई।इस मुलाकात ने उनके जीवन में एक परिवर्तन ला दिया और वे स्वदेश लौट आए।उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी के लिए आवाज उठाई। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बढ चढ़कर हिस्सा लिया।जब उन्होंने तिरंगे का निर्माण किया तब उनकी उम्र केवल 45 वर्ष की थी।
तिरंगे को भारतीय ध्वज के रूप में मान्यता मिलने में करीब 45 वर्ष लग गए। चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान दिया गया।
सन् 1925 में इस ध्वज में केवल दो ही रंग थे एक हरा और दूसरा लाल जिसमे चरखे की आकृति को लाइनों द्वारा बनाई गई थी। बाद में 1931 में इस ध्वज में तीन रंग हो गए। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद तथा आखिर में हरा रंग। बीच सफेद रंग में बने लाइनों वाले चरखे को गांधी जी वाले चरखे की आकृति बनाई गई। बाद में सन 1947 में इसके स्थान पर अशोक चक्र बनाया गया जो वर्तमान में हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। इस अशोक चक्र में चौबीस तीलियां हैं। जो मनुष्य के चौबीस गुणों का दर्शाता है जिसमें एक गुण धर्म भी है।एक राष्ट्रीय ध्वज केसरिया रंग देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है । बीच में सफेद रंग अशोक चक्र शांति सत्य व धर्म का प्रतीक है और नीचे हरा रंग देश की खुशहाली और यहां की भूमि के हरा भरा दर्शाता है।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 4 Comments · 611 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
बुंदेली दोहा- तिगैला
बुंदेली दोहा- तिगैला
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मोहब्बत।
मोहब्बत।
Taj Mohammad
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय*
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
Ranjeet kumar patre
"मोबाईल"
Dr. Kishan tandon kranti
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
पूर्वार्थ
Biography Sauhard Shiromani Sant Shri Dr Saurabh
Biography Sauhard Shiromani Sant Shri Dr Saurabh
World News
"" *ईश्वर* ""
सुनीलानंद महंत
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
कवि दीपक बवेजा
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Dr Archana Gupta
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
धर्म या धन्धा ?
धर्म या धन्धा ?
SURYA PRAKASH SHARMA
पावस आने से प्रथम, कर लो सब उपचार।
पावस आने से प्रथम, कर लो सब उपचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
Rj Anand Prajapati
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
2868.*पूर्णिका*
2868.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*हनुमान (बाल कविता)*
*हनुमान (बाल कविता)*
Ravi Prakash
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
DrLakshman Jha Parimal
मुझसे  ऊँचा क्यों भला,
मुझसे ऊँचा क्यों भला,
sushil sarna
मित्रता क्या है?
मित्रता क्या है?
Vandna Thakur
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
डॉक्टर रागिनी
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
Pratibha Pandey
मैं और वो
मैं और वो
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
चुनौतियों और परेशानियों से डरकर
चुनौतियों और परेशानियों से डरकर
Krishna Manshi
Loading...