रावण बनना भी कहाँ आसान….
रावण बनना भी कहाँ आसान….
रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था
रावण में वासना थी
तो संयम भी था
रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति के परस्त्री को स्पर्श भी
ना करने का संकल्प भी था
सीता जीवित मिलीं ये राम की ही ताकत थी
पर पवित्र मिलीं ये रावण की भी मर्यादा थी
राम,आपके युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, ” सब बाहर रखता था..!!
महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुख
जो सामने खड़े भीड़ से
बारबार पूछ रहा था…
“तुम में से कोई राम है क्या..?