राम नहीं बन सकते …..
राम नहीं बन सकते हैं,
पर सीता की आशा करते हैं,
गुरुद्वारे पर माथ टेका,
मस्जिद में सजदा करते हैं,
पर्व में जाकर करे प्रार्थना,
मंदिर में हर सर झुकते हैं,
फिर भी हम नापाक रहे हैं,
भूल भला हम कब करते हैं ?
कभी न खुद के खुदा को देखा,
मन में रमते राम न देखा,
रूप रखते हैं रावण का ,
सीता की आशा करते हैं ,
गुरुद्वारे शास्त्रों से भर,
गोविन्द अनुयायी बनते हैं
राम नहीं बन सकते हैं,
पर सीता की आशा करते हैं
सत्पुरुषों की जा समाधी पर,
गीता की कसमें खाते हैं,
आदर्शों की लाश जलाते,
मैली गंगा माँ करते हैं ,
आश्वाशन की भीड़ लगाकर,
भोली जनता को ठगते हैं
राम नहीं बन सकते हैं,
पर सीता की आशा करते हैं
हाथ दोस्ती को हैं बढ़ाते,
मीठी सी बातें करते हैं,
उग्रवाद की आग लगाकर,
हाथ सेंकने को फिरते हैं,
परमाणु बम बना रहे हैं,
शांति की बातें करते हैं
राम नहीं बन सकते हैं,
पर सीता की आशा करते हैं ।।