राम अपना करीम अपना
सपने अपने दर्पण अपना
होगा खुदा भी राज़ी उनका
मेहनत करते रहते दिन-रात
हासिल उनका बाकी उनका
सर्द हवाएं अब ऋतु है गर्म
माजी अपना काजी उनका
जलती बुझती है एक मोम
आग भी उनकी बाती उनका
रंगों से ना जोड़ो इंसान को
धर्म अपने कर्म भी अपना
द्वेष अब सबके मन से दूर हो
राम अपना करीम भी अपना
हर सिम्त यहाँ खुदा पाया
मस्जिद अपने मंदिर भी अपना
दुनिया में हासिल सोहरत उनको
ख़ुदाए पाक है अब साथी उनका
®आकिब जावेद