रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
मेरे लिए वो मोहब्बत मानो जैसे प्रकाश पुंज थी
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
मेरे लिए वो मोहब्बत मानो जैसे प्रकाश पुंज थी
©® प्रेमयाद कुमार नवीन