रहे कहीं ना काश!
पछताएं ना अंत में, पड़े न कहना काश।
जो जी हो कर लीजिए,करके खुद विश्वास।।
करके खुद विश्वास, करें जो मन को भाये।
पूर्ण करें हर काम,कभी ना मन तरसायें।।
छूटे जब भी सांस, न आये मन को रोना।
रहे कहीं ना काश, भरा हो मन का दोना।।
✍️जटाशंकर”जटा”
२७/०७/२०२२