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27 Jul 2022 · 1 min read

रहे कहीं ना काश!

पछताएं ना अंत में, पड़े न कहना काश।
जो जी हो कर लीजिए,करके खुद विश्वास।।
करके खुद विश्वास, करें जो मन को भाये।
पूर्ण करें हर काम,कभी ना मन तरसायें।।
छूटे जब भी सांस, न आये मन को रोना।
रहे कहीं ना काश, भरा हो मन का दोना।।
✍️जटाशंकर”जटा”
२७/०७/२०२२

Language: Hindi
283 Views

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